परिचय
भारत में आवासीय सुरक्षा न केवल एक व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकता बल्कि उसके सामाजिक–आर्थिक उत्थान का आधार भी है। इसी सोच के तहत 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के अनाथवा, अल्प आय वर्ग (EWS), निम्न आय वर्ग (LIG), मध्यम आय वर्ग (MIG) और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को किफायती एवं प्रमाणिक आवास उपलब्ध कराना है। योजना का मूल मंत्र है – “घर-घर-घर” अर्थात् हर परिवार के पास अपना पक्का आशियाना हो।

1. PMAY का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

- पूर्ववर्ती योजनाएँ
- 1985 में प्रधानमंत्री आवास ग्रामोद्योग योजना (PMAY-G) और 2015 में शहरी आवास के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-U) शुरू हुईं।
- 2015 के बाद इन दोनों को समग्र रूप से PMAY के अंतर्गत एकीकृत कर दिया गया।
- आवास की आवश्यकता
- विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, आवास की कमी से गरीबी, बेरोज़गारी एवं सामाजिक अस्थिरता बढ़ती है।
- भारत में लगभग 10% परिवारों के पास उचित आवास नहीं था, जिसे PMAY के माध्यम से दूर करने का लक्ष्य रखा गया।
2. PMAY के मुख्य उद्देश्य

- आवासीय सुरक्षा
- EWS एवं LIG वर्ग के परिवारों के लिए ‘पक्के घर’ का निर्माण।
- सार्वभौमिक आवासीय हक
- सम्पूर्ण देश में ‘आवास हक’ की अवधारणा को मान्यता।
- शहरी–ग्रामीण समन्वय
- दोनों क्षेत्रों में समान अवसर एवं वित्तीय सहायता।
- स्वदेशी निर्माण प्रौद्योगिकी (Aatmanirbhar Bharat)
- स्थानीय निर्माण सामग्री व तकनीकों का प्रयोग, जिससे लागत और निर्माण समय दोनों में कमी आए।
3. योजना की चार प्रमुख घटक (Components)

- कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए CMAY-G (Rural)
- ग्रामीण गरीबों को 1.2 लाख रुपये की अनुदान राशि।
- इंटेग्रेटेड कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी से त्वरित निर्माण।
- शहरी आवास (PMAY-U) के चार स्तंभ
- इंडिविजुअल हाउस निर्माण/अपग्रेडेशन (Beneficiary-led Construction)
- लाभार्थी स्वयं निर्माण करवाता है, 1.5 लाख रुपये अनुदान।
- कन्स्ट्रक्शन ऑफ रसेडेंशियल कॉम्प्लेक्स (In-situ Slum Redevelopment)
- स्लम सुधार एवं पुनर्वास।
- प्रोजेक्ट फाइनेंस्ड कन्स्ट्रक्शन (Affordable Housing through PPP)
- निजी क्षेत्र साझेदारी में आवास परियोजनाएँ।
- कन्स्ट्रक्शन ऑफ हाउस ऑन फंड – मिनोरिटी एवं वर्चुअल ट्रस्ट (Credit Linked Subsidy Scheme)
- ब्याज सब्सिडी, आरबीआई के मार्जिन रेट पर सब्सिडी।
- इंडिविजुअल हाउस निर्माण/अपग्रेडेशन (Beneficiary-led Construction)
4. पात्रता एवं चयन मानदंड

श्रेणी | वार्षिक आय सीमा | अनुदान राशि (रु.) | अधिकतम गृह ऋण राशि पर ब्याज सब्सिडी (%) |
---|---|---|---|
EWS | ≤ ₹3 लाख | 1.5 लाख | 6.5% |
LIG | ₹3–6 लाख | 1.5 लाख | 6.5% |
MIG-I | ₹6–12 लाख | — | 4% |
MIG-II | ₹12–18 लाख | — | 3% |
- पात्रता शर्तें
- आवास नहीं होना चाहिए।
- लाभार्थी को कहीं भी पहले केंद्र/राज्य या स्थानीय सहायता प्राप्त नहीं होनी चाहिए।
- बैंकिंग चैनल के माध्यम से लाभार्थी की बैंक खाता स्थिति स्थिर होनी चाहिए।
5. आवेदन प्रक्रिया

- ऑनलाइन पंजीकरण
- PMAY की आधिकारिक वेबसाइट (pmay.gov.in) पर ‘New Registration’ पर क्लिक करें।
- आधार व बैंक विवरण के साथ फॉर्म भरें।
- ऑफ़लाइन/सहायता केंद्र
- Common Service Centres (CSC) या नगर निगम, ग्राम पंचायत कार्यालय में सहायता मिलती है।
- डॉक्यूमेंट सत्यापन
- निवास प्रमाण, आय प्रमाण, भूमि/घर का स्वामित्व प्रमाण, बैंक पासबुक आदि।
- स्वीकृति व सब्सिडी ट्रांसफर
- बैंक खाते में सीधे लाभ राशि ट्रांसफर।
6. वित्तीय सहायता का स्वरूप

- ग्रामीण क्षेत्र: 1.2 लाख रु.
- शहरी क्षेत्र: 1.5 लाख रु.
- ब्याज सब्सिडी: 6.5% (EWS एवं LIG के लिए), 4% (MIG-I), 3% (MIG-II)
- अनुदान की किस्तें
- निर्माण की प्रगति के अनुसार 3–4 किस्तों में जारी की जाती है।
7. योजना की उपलब्धियाँ एवं आँकड़े
- घर संख्या
- जून 2024 तक लगभग 1.2 करोड़ आवासीय इकाइयाँ शुरू, 70 लाख पूर्ण।
- आर्थिक प्रभाव
- निर्माण गतिविधियों से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन: अनुमानित 20 लाख से अधिक रोजगार।
- महिला सशक्तिकरण
- स्वामित्व में महिला नामांकित लाभार्थियों का अनुपात 80% से अधिक।
- तकनीकी नवाचार
- CLC ब्लॉक, लो-क तापीय ब्लॉक, प्री-कास्ट्ड कंस्ट्रक्शन तकनीक का व्यापक प्रयोग।
8. सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव
- गरीबी उन्मूलन
- आवास सुरक्षा से परिवारों का आर्थिक बोझ कम, बचत व निवेश में वृद्धि।
- स्वास्थ्य व शिक्षा
- बेहतर आवास से सार्वजनिक स्वास्थ्य ख़र्चों में कमी, बच्चों की पढ़ाई में स्थिरता।
- सामाजिक सम्मान
- सुरक्षित घर से सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ी, आत्म–सम्मान में सुधार।
- महिला एवं बालिकाओं का कल्याण
- सुरक्षित घर से घरेलू हिंसा और बाल शोषण की घटनाओं में कमी।
9. चुनौतियाँ एवं सुधार के सुझाव
चुनौती | कारण | समाधान प्रस्तावना |
---|---|---|
भूमि उपलब्धता | अतिक्रमण, कानूनी विवाद | स्थानीय स्तर पर भूमि बैंक का निर्माण |
निर्माण लागत में वृद्धि | सामग्री और मजदूरी महँगाई | स्थानीय कच्चे माल, आधुनिक निर्माण तकनीक |
लाभार्थी जागरूकता की कमी | कम साक्षरता, दूरस्थ क्षेत्रों में संपर्क | व्यापक जनजागरण अभियान, मोबाइल वैन |
वित्तीय समावेशन | बैंक खाते न होना | आधार–लेनदेन, मोबाइल बैंकिंग फैलाव |
10. सफलताओं के प्रेरक प्रसंग (केस स्टडीज)
- बस्तर (छत्तीसगढ़)
- आदिवासी परिवारों को ईको-फ्रेंडली ईंटों से घर निर्माण।
- स्थानीय कच्चे माल से लागत 15% तक कम।
- वारंगल (तेलंगाना)
- स्लम सुधार परियोजना में 2,500 नए फ्लैट, स्वास्थ्य केंद्र व स्कूल जोड़कर समग्र पुनर्वास।
- कोयंबटूर (तमिलनाडु)
- बैंकिंग साक्षरता शिविर: 10,000 लाभार्थियों को बैंक खाता, सब्सिडी सीधे ट्रांसफर।
11. भविष्य की दिशा एवं नए आयाम

- ग्रीन हाउसिंग
- सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन, जैविक अपशिष्ट प्रबंधन को प्रोत्साहन।
- डिजिटल मॉनिटरिंग
- ब्लॉकचेन आधारित फंड ट्रैकिंग से पारदर्शिता।
- सामुदायिक मॉडल
- सामूहिक आवास कॉम्प्लेक्स में साझा सुविधाएँ: पुस्तकालय, स्वास्थ्य सुविधा, खेल मैदान।
- आवासीय ऋण उत्पादों का विस्तार
- लचीले पुनर्भुगतान विकल्प, मामूली ब्याज दर पर “शहरी आवास बचत योजना”।
12. निष्कर्ष
प्रधान मंत्री आवास योजना ने भारत के ग्रामीण और शहरी गरीबों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाया है। सिर्फ़ ईंट–पत्थर का निर्माण नहीं, बल्कि एक सामाजिक–आर्थिक क्रांति का आरंभ है, जिसने गरीब परिवारों को आत्म–सम्मान, सुरक्षा और समृद्धि का अहसास कराया। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, लेकिन निरंतर नवाचार, पारदर्शिता और समुदायिक भागीदारी से “हर परिवार को अपना घर” का सपना साकार हो रहा है।
आइए, हम सब मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ाएं, ताकि असहायों को आशियाना मिले और भारत के सपनों का सौंदर्य बढ़े।